नागौर की खेजड़ी सबसे लंबी!


दिनेश बोथरा
प्रकृति वाकई कमाल करती है। अब राजस्थान के राय वृक्ष खेजड़ी को ही लीजिए। आपके घर-परिवेश के इर्द-गिर्द दिखने वाला यह पेड़ समूचे राय में एक सरीखा है, सिर्फ नागौर को छोड़कर। आप जानना चाहेंगे कि नागौर की खेजड़ी में ऐसा क्या है? जवाब है उसकी आनुवांशिक संरचना। देखने में कहें तो उसकी ऊंचाई का गुण, जो अन्य खेजड़ियों से उसे अलग करता है। आने वाली पीढ़ी को घास, पेड़ तथा झाड़ियों की बेहतरीन किस्मों की सौगात देने की मुहिम में जुटे काजरी के वैज्ञानकों को 1984 से अपने प्रायोगिक खेतों में बढ़ते खेजड़ी के पेड़ोें के सतत पर्यवेक्षण के नतीजों ने कुछ ऐसे ही चौंकाया। वैज्ञानिकों ने रायभर से खेजड़ी की बेहतरीन किस्म का पता लगाकर उसके बीज मुहैया करवाने की इस परियोजना के तहत करीब दो दशक पहले चूरू, जैसलमेर, नागौर, जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर, झूंझुनू, सीकर, जालोर, टोंक तथा जयपुर से 42 उम्दा पेड़ों के बीज लाकर अपने प्रायोगिक खेतों में रोंपे थे। वे देखना चाहते थे कि वक्त के साथ इनमें कौनसा बीज अपने बेहतरीन गुणों को कायम रख पाता है। अब वयस्क अवस्था में पहुंच चुके इन पेड़ों से कई नए तथ्य सामने आए हैं। नागौर से लाए बीज से उगे पेड़ की लंबाई सर्वाधिक दर्ज की गई हैं, लेकिन विडंबना यह है कि इसमें बीज नहीं लगे। डा मंजीतसिंह कहते हैं-इसकी वजह जानने पर पता चला कि यह फास्ट ग्रो होने का नतीजा है। नागौर की खेजड़ी की सर्वाधिक एनर्जी ग्रो होने में खर्च हो गई, लिहाजा उसमें बीज नहीं लगे। बाद में इन बीजों की डीएनए जांच में यह सामने आया कि इसके आनुवांशिक गुण अन्य खेजड़ियों से अलग है। प्रधान वैज्ञानिक डा एसके जिंदल का कहना है कि टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीटयूट की रिसर्च में यह तथ्य उभरा है। उन्होंने बताया कि लंबाई के मामले में जोधपुर से इकट्ठे किए गए बीजों ने बाजी मारी है, लेकिन उनके आनुवांशिक गुण दूसरों के समान ही है।

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