मार्च 2010 तक जोधपुर में नया प्रोजेक्ट नहीं

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बेलगाम औद्योगिक प्रदूषण के बावजूद हालात नहीं सुधार पाने का नतीजा यह है कि जोधपुर में अब मार्च 2010 तक किसी नए प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिलेगी। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का यह फरमान ही विकट स्थितियों का अंदाज लगाने के लिए काफी है। मंत्रालय ने जोधपुर सहित देश के 43 औद्योगिक क्षेत्रों में तत्काल प्रदूषण रोकथाम के उपाय तेज करने की सिफारिश की है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने देश में पहली बार कॉम्प्रेहेंसिव एनवायर्नमेंटल पोल्यूशन इंडेक्स (सीईपीआई) जारी करते हुए 88 प्रदूषित क्षेत्रों में जोधपुर को 23 वें पायदान पर रखा था। मंत्रालय की पहल पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने आईआईटी दिल्ली के सहयोग से पहली दफा औद्योगिक प्रदूषण की स्थिति पर इंडेक्स जारी की। इस रिपोर्ट में 43 औद्योगिक क्षेत्रों को गंभीरतम प्रदूषित करार दिया गया है। जोधपुर में औद्योगिक गतिविधियों के कारण वायु प्रदूषण का इंडेक्स स्कोर 52, जल प्रदूषण का 65।50 तथा भूमि प्रदूषण का स्कोर 54 पाया गया है। भूजल तथा अन्य पैरामीटर्स के आधार पर समग्र रूप से जोधपुर का प्रदूषण इंडेक्स स्कोर 75.19 होने से इसे गंभीरतम प्रदूषित क्षेत्रों में शुमार किया गया है। हालांकि इससे पहले भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल के विकट प्रदूषित 24 क्षेत्रों में जोधपुर शामिल था। इस लिहाज से यहां प्रदूषण रोकथाम के उपाय तेज करने का दबाव दिया जाता रहा है, मगर नई रिपोर्ट में उजागर प्रदूषण की तस्वीर ने चौंका दिया है। जोधपुर प्रदूषण निवारण ट्रस्ट पिछले लंबे अरसे से कॉमन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन करने के साथ प्रदूषित पानी के शत प्रतिशत उपचारण का दावा करता है, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। इंडेक्स रिपोर्ट पर यकीन करने का सबसे बड़ा आधार यह भी है कि शहर से सटी जोजरी नदी का तल बुरी तरह से बर्बाद हो चुका है। यहां वानस्पतिक संपदा का जबर्दस्त ह्रास हुआ है और भूजल स्तर इस हद तक प्रदूषित हो चुका है कि इसका सेवन करने से गंभीर बीमारियां होने लगी हैं।
क्या है इंडेक्स
यह इंडेक्स देश में औद्योगिक प्रदूषण की स्थिति का तुलनात्मक विवरण देता है। यह प्रदूषण स्तर के लिहाज से औद्योगिक क्षेत्रों को वर्गीकृत करता है। इसके लिए प्रदूषण के शिकार देश के 88 शहरों का अध्ययन किया गया था।
विस्तृत अध्ययन की सिफारिश
गंभीरतम प्रदूषित देश के 43 शहरों के लिए आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों ने यह सिफारिश की है कि यहां का विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिए, ताकि प्रदूषण की रोकथाम की जा सके। उन्होंने कहा कि यहां माइो पैरामीटर्स पर प्रदूषण का स्तर नापा जाना चाहिए। मानवीय स्वास्थ्य व पर्यावरण पर प्रदूषण के असर का भी अध्ययन होना चाहिए।
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