लंदन और जोधपुर में हालात एक जैसे

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जोधपुर शहर में भूजल स्तर बढ़ने की समस्या की वजह ढ़ूंढने में लगे वैज्ञानिकों ने यह मान लिया है कि कायलाना और तखतसागर जलाशय को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान(एनजीआरआई) के वैज्ञानिकों की अंतिम रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि कायलाना जलाशय के आस-पास स्थित भूसतही दरारों का शहर से ऐसा कोई सक्रिय संपर्क नहीं है, जिससे शहर का भूजल स्तर बढ़ने लग जाए। इस रिपोर्ट में यह संभावना भी जताई गई है कि जलापूर्ति में बढ़ोतरी और बदहाल सीवरेज सिस्टम इसका एक प्रमुख कारण हो सकता है।
पिछले डेढ़ दशक से जोधपुर शहर के बड़े हिस्से में भूजल स्तर में निरंतर बढ़ोतरी ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। इस समस्या की शुरूआत तब से हुई, जब से जोधपुर को राजीव गांधी लिफ्ट केनाल से हिमायल का पानी मिलने लगा। इस पानी ने कभी बूंद-बूंद को तरसते जोधपुर के बाशिंदों के हलक तो तर किए, लेकिन बेतहाशा पानी का प्रबंधन नहीं कर पाने का खामियाजा यह हुआ कि भूजल स्तर तेजी से बढ़ने लगा। नतीजतन, कई इलाकों में डेढ़ फीट की गहराई तक पानी आ चुका है। भीतरी शहर के आधे से ज्यादा हिस्से में अधिकाँश मकानों और दुकानों के तहखाने पानी से भरे हुए हैं, जहां हर दम पानी की पंपिंग मजबूरी हो गया है। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग भूजल स्तर को तोड़ने के लिए 68 जगहों पर निरंतर पंपिंग कर रहा है। लक्ष्मीनगर जोन में भूजल स्तर कम नहीं होने के कारण अतिरिक्त उपाय किए जा रहे हैं। दस अतिरिक्त नलकूल खोदे जा रहे हैं, ताकि स्थिति को सामान्य किया जा सके। बदहाल सीवर सिस्टम को ठीक करने तथा जलापूर्ति की लाइनों में लीकेज दूर करने के निर्देश भी दिए गए हैं, क्योंकि एनजीआरआई की रिपोर्ट के बाद अब यही मुख्य कारण नजर आता है। हालांकि इस कारण को पुख्ता करने के लिए अलग से नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच) के वैज्ञानिक जांच कर रहे हैं। एनआईएच की रिपोर्ट फरवरी में मिलने की संभावना है। उसके बाद प्रमाण्0श्निात तौर पर कारण सामने आ जाएंगे और निदान का मार्ग प्रशस्त होगा।
लंदन भी प्रभावित: एनजीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोधपुर की तरह लंदन और जेद्दाह शहर भी भूजल स्तर बढ़ने की समस्या से जूझ रहे हैं। सेंट्रल लंदन में तो हर साल एक मीटर की रफ्तार से भूजल बढ़ रहा है। जहां तक जोधपुर में कायलाना और तखतसागर जलाशय से पानी का रिसाव न होने का सवाल है, वैज्ञानिकों ने इसके समर्थन में महाराष्ट्र के शोलापुर कस्बे का उदाहरण दिया है। यहां भी इसी तरह की समस्या है, लेकिन यहां किसी तरह का जलाशय नहीं है। इस कस्बे में जलापूर्ति और सीवर सिस्टम में निरंतर रिसाव के कारण ऐसे हालात बने हैं। संभवतया वैज्ञानिक जोधपुर के लिए भी इसे ही मुख्य वजह मानते हैं।
कई संस्थानों की रिपोर्ट पर सवालिया निशाँ: एनजीआरआई की अंतिम रिपोर्ट में एक तरह से सात साल पूर्व दी गई केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट का समर्थन किया गया है, लेकिन इस बात का भी जिक्र किया गया है कि इसरो और भाभा ऑटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) मुंबई के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के निष्कर्ष उनके निष्कर्षो से मेल नहीं खाते। गौरतलब है कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल में जोधपुर की इस समस्या को लेकर कई संस्थानों ने अध्ययन किया था। इसमें केंद्रीय भूजल बोर्ड, राज्य भूजल विभाग, इसरो तथा बार्क ने अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए थे। इसरो का कहना था कि कायलाना के आस-पास भूसतही तथा भूगर्भीय दरारों के कारण रिसाव बढ़ रहा है। बार्क ने भी आइसोटोपिक कम्पोजिषन के आधार पर कहा था कि शहर के भूजल और कायलाना के पानी में समानता को देखते हुए जलाशय से रिसाव को वजह माना जा सकता है। केंद्रींय बोर्ड ने नहरी पानी आने के कारण जलापूर्ति में हुई बढ़ोतरी तथा बदहाल सीवर सिस्टम पर अंगुली उठाई थी। अब एनजीआरआई की रिपोर्ट ने इसे पुख्ता कर दिया है।