आज सोचेंगे तो कल बचा पाएंगे..

कुदरत ने हमें बहुत कुछ दिया। हमने काफी कुछ खो दिया। कल तक हमारे शब्दकोष में आबोहवा, पंछी-नदियां, पेड़, वन-उपवन, सर्दी-गर्मी-बारिश जैसे शब्दों की ही जगह थी, आज शब्दकोष बदल रहे हैं। क्लाइमेट चैंज, ग्लोबल वार्मिंग जैसे नए शब्द या यों कहें जीवन की नई चुनौतियां हमारे सामने खड़ी हो गई हैं। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, तापमान बढ़ रहा है, अकाल और बाढ़ जैसी विभीषिका मानों नियति बन गई हैं। क्लाइमेट चैंज ने बहुत कुछ चैंज कर दिया है....और बहुत कुछ वक्त के साथ चैंज हो जाएगा।....पर कुछ अच्छा छूट गया है, कुछ सुखद अहसास जिंदा है..कुछ चिंताएं परिपक्व हो रही हैं..हम कहां हैं, कल कहां होंगे, बदलाव की यह रफ्तार हमें कहां ले जाएगी..कुछ ऐसे ही पहलू, कुछ खुशियां और कुछ गम..आओ मिलकर सोचें कि हम कैसा कल चाहेंगे? jodhpur

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें