ऐसे तो कैसे बचेगा भूजल?



दिनेश बोथरा
सूखे का दंश झेलने को अभिशप्त पश्चिमी राजस्थान के भविष्य में गंभीर जल संकट की त्रासदी ने घर कर लिया है। पुनर्भरण के मुकाबले बेतहाशा भूजल निकासी से हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि जिस रफ्तार से पानी पैंदे बैठ रहा है, उसे देखते हुए वर्ष 2010 के आखिर तक भूजल दोहन की मौजूदा दर बढ़कर 161.70 पहुंच जाएगी।
यह ऐसी स्थिति होगी, जब भूजल संसाधनों पर भीषण दबाव होगा। इन विषम हालात में यदि मानसून ने 2009 की तरह दगा दिया तो स्थितियां बदतर हो जाएंगी। इसका जनजीवन और पशुधन पर क्या असर होगा? इस आशंका मात्र से भूजल वैज्ञानिकों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी हैं। केंद्रीय रुक्ष क्षेत्र अनुसंधान संस्थान के इंटीग्रेटेड लैंड यूज मैनेजमेंट एंड फार्मिंग सिस्टम डिपार्टमेंट के हैड रह चुके डा. एमए खान के मुताबिक-चिंता होना लाजिमी है, क्योंकि पिछले एक दशक में भूजल गिरावट की चौंकाने वाली तस्व्ीर ने खतरे की घंटी बजा दी है। वर्ष 2001 में भूजल दोहन (भूजल उपयोग विकास दर) का जो अनुमान लगाया गया था, उसके मुकाबले यह करीब तीन गुना यादा रहा। यानी पुनर्भरण योग्य पानी की उपलब्धता जितनी नहीं थी, उसके मुकाबले दोहन यादा हने से असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई है। यह असंतुलन आने वाले सालों में पुनर्भरण व दोहन के बीच खाई पैदा कर देगा। काजरी ने भूजल विभाग के 1988 के आंकड़ों को आधार मानकर वर्ष 1990, 1995 तथा 2000 में पश्चिमी राजस्थान के भूजल संसाधनों का अनुमान लगाया था। इन अनुमानों के परिप्रेक्ष्य में जब 1995 एवं 2001 के भूजल संसाधनों के वास्तविक आंकड़ों को देखा गया, तब पता चला कि यह दर उक्त सालों में 3.22 एवं 3.19 प्रतिशत मानी गई थी, जबकि वास्तविक दर सामने आई 10.52 तथा 8.36 प्रतिशत। यानी यह 1.8 से 3.03 गुना यादा रही। अंधाधुंध दोहन की इस स्थिति को देखते हुए भूजल वैज्ञानिकों ने वर्ष 2010, 2015 तथा 2020 में भूजल संसाधनों का जो अनुमान लगाया है, वह भयावह स्थिति का संकेत देता है। मिसाल के तौर पर 2015 में दोहन की दर 189.28 प्रतिशत तक पहुंचने का अंदेशा है। वहीं 2020 में यह आंकड़ा 221.56 प्रतिशत को छू जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार यह अतिदोहन की स्थिति होगी। इसके चलते पश्चिमी राजस्थान को विपरीत स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है मौजूदा स्थिति: केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने हाल ही एक अधिसूचना जारी करके विषम और अतिविषम दोहित भूजल दोहन ब्लॉक को निगरानी में ले लिया है। इसके मुताबिक जोधपुर जिले का लूणी व शेरगढ़ ब्लॉक भूजल दोहन के मामले में विषम तथा बालेसर, भोपालगढ़, बिलाड़ा, मंडोर तथा ओसियां अतिविषम श्रेणी में आ गए हैं।

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