जापानी पताका पर थार की लालिमा


दिनेश बोथरा
रामबुई को कौन नहीं जानता। खेल-खेल में इस पौधे की जड़ें उखाड़ कर हाथों में बांधने और फिर हफ्ते भर तक कलाई पर लालिमा से इतराती बचपन की यादें कई लोगों के जेहन में ताजा होंगी, पर यह शायद ही कोई जानता होगा कि इन जड़ों से निकलने वाले रंजक से जापानी पताका की खूबसूरती सुर्ख हो उठती है।
राजस्थान के अनेक हिस्सों में पाया जाने वाला पौधा रामबुई या रामस यहां आज भी बहुत आम है, लेकिन विदेशों में अपनी खूबियों के कारण यह वैज्ञानिकों ही नहीं, कलर इंडस्ट्री के लिए भी आंख का तारा बना हुआ है। खासकर, जापान में इस पौधे के दम पर बड़े-बड़े उद्योग पैसा बना रहे हैं। बीकानेर के नोखा, सीकर, चूरू, झूंझूनु सहित अनेक जिलों में सहज उपलब्ध इस पौधे का वानस्पतिक नाम अरबेनिया हिपीडिसीमा है। यह बात अलग है कि विदेशों में इसी बिरादरी के पौधे की पहचान लिथोजपरमम अर्थ्रोरिजन नाम से है। इस नाम का शाब्दिक अर्थ है-चट्टानी क्षेत्र में पैदा होने वाला पौधा, जिसकी जड़ों से लाल रंग निकलता हो। यही खासियत इस पौधे को अनूठा बनाती है। जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी की बायोटेक्नोलॉजी यूनिट के हैड डा. एनएस शेखावत कहते हैं-बचपन में हमने भी इसकी जड़ों से राखियां बांधी थीं, मगर तब यह नहीं जानते थे कि ये जड़ें गुणो की खान हैं। मॉश्इचराइजर, फेस क्रीम, साबुन, नेल पॉलिस, वैक्स कैंडिल, लिपस्टिक और अच्छे रंजक की हर खूबी इसमें हैं। अफसोस इस बात का है कि समय रहते ह इसका महत्व नहीं जान पाए। सारी दुनिया में यही एकमात्र ऐसा पौधा है, जिसका टिश्यू कल्चर से कॉमर्शियल प्रोडक्शन होता है। इसकी जड़ों से निकले लाल रंजक से जापान में बौध्द साधुओं की पोशाकें तथा धनाढय लोगों के फैशनेबल कपडे तो रंगे जाते ही हैं, जापान के राष्ट्रीय झंडे के बीच में लाल रंग की गोल आकृति भी अंकित होती है। इसकी लोकप्रियता का यह आलम है कि कोरिया की बायोप्रोसेस इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर ने तो इसके रंजक बनाने की कई तकनीकें ईजाद की हैं। जापान में मित्सूई केमिकल्स इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करती है, जिसे सिकोनिन नाम दिया गया है।
हर मौसम में सदाबहार रहने वाला यह पौधा 48 डिग्री की गर्मी भी बर्दाश्त कर सकता है और 5 डिग्री तक गिरे तापमान की ठंड भी। इसलिए राजस्थान के अनेक हिस्सों में इसकी मौजूदगी सदियों से रही है। शेखावत के अनुसार यूनिट में इसकी जड़ों पर अध्ययन किया जा रहा है, ताकि भविष्य में इससे रोजगार की संभावनाएं तलाशी जा सकें।

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