2080: हायतौबा मचाएगी गर्मी!


dinesh bothra
क्या वाकई पश्चिमी राजस्थान में वर्ष 2080 के आते-आते गर्मी के तीखे तेवर हायतौबा मचा देंगे? लगातार सूखे के हालात और कम बारिश में रेगिस्तान बढ़ने लगेगा? इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चैंज (आईपीसीसी) की चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट के ऐसे ही कई चौंकाने वाले पूर्वानुमान आम-आदमी को सतही लग सकते हैं, लेकिन इन्हें लेकर देश के शीर्ष मौसम वैज्ञानिकों के माथे पर अभी से चिंता की लकीरें नजर आने लगी हैं।
तापमान में बढ़ोतरी, कई सूखा तो कई बाढ़, मृदा क्षरण के साथ वातावरण में होने वाले बदलावों के पूर्वानुमान पर आधारित यह रिपोर्ट तथा हेडली सेंटर (यूके) व आईआईटीएम, पुणे के वैज्ञानिकों के नतीजे भी यही इंगित कर रहे हैं कि राजस्थान तथा पंजाब के पश्चिमी हिस्सों के वातावरण में इस सदी के सात-आठ दशक गुजरने तक बड़े परिवर्तन आएंगे। गर्मियों के मौसम में तो पसीना बहेगा ही, सर्दियों और रात के तापमान में भी बढ़ोतरी होने का अंदेशा है। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक डा. अजीत त्यागी मानते हैं कि अब इन अपेक्षित बदलावों को देखते हुए तैयार रहने का वक्त आ गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर खासतौर से भारत के पश्चिमी इलाके पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करने वाले केंद्रीय रुक्ष क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) के प्रधान वैज्ञानिक डा. अमल कार के मुताबिक वातावरण में बदलाव का असर इंसान पर ही नहीं, प्रत्येक प्राकृतिक संसाधनों पर नजर आएगा।
आखिर क्या हैं आशंकाएं...
तापमान बढ़ेगा: वातावरण में हो रहे बदलाव को देखते हुए वर्ष 2080 तक भारत के पश्चिमी शुष्क इलाके यानी राजस्थान, गुजरात, हरियाणा तथा पंजाब के पश्चिमी भाग के तापमान में औसत 2 से 5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने के आसार। दक्षिण राजस्थान और इससे लगते गुजरात के इलाके में यह वृध्दि कुछ कम होगी। न केवल गर्मियों में अधिकतम व न्यूनतम तापमान बढ़ेगा, बल्कि इसी अनुपात में सर्दियों और रातों के तापमान में भी बढ़ोतरी होने की आशंका।
पश्चिमी राजस्थान में सूखा: सदी के आखिरी दशकों में उत्तरी-पश्चिम राजस्थान व इससे जुड़ते पंजाब के इलाकों में मानसून की औसत बारिश में 10 से 30 प्र्रतिशत कमी दर्ज हो सकती है। यहां ज्यादा सूखा पड़ने का अनुमान।
दक्षिण राजस्थान में ज्यादा बारिश: राज्य के पूर्वी इलाके व इससे जुडते हरियाणा में औसत बारिश में 10 प्रतिशत तक वृध्दि हो सकती है। सर्दियों में होने वाली बारिश भी 20 से 40 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। चिंता की एक बड़ी वजह दक्षिण राजस्थान और इससे लगते गुजरात के इलाके को लेकर हैं, यहां मानसून की बारिश 15 से 30 प्रतिशत तक बढ़ने के आसार। सर्दियों की बारिश में भी ऐसी ही अप्रत्याशित वृध्दि का अनुमान। अरब सागर में चक्रवात बढ़ सकते हैं, नतीजतन, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण राजस्थान में बाढ़ के हालात पैदा होने की आशंका।
आंधियां बढ़ेंगी: पश्चिमी राजस्थान में मानसून के दौरान बारिश के दिनों में 5 से 10 दिनों की कमी के मद्देनजर अनुमान है कि आंधियां ज्यादा चलेंगी, जिससे रेगिस्तान जैसे हालात का विस्तार होगा। जाहिर है, इससे कृषि उत्पादकता पर भी बुरा असर पड़ेगा।
दक्षिणी राज्य भी अछूते नहीं: अनुमान है कि सात दशक बाद दक्षिण के अनंतपुर और बेल्लारी में औसत तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। सर्दियों की बारिश में 100 प्रतिशत तक वृध्दि संभावित है, लेकिन यह सालाना औसत के 20 से 30 प्र्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी। कर्नाटक व तमिलनाडू के दक्षिण तटवर्ती भागों में गर्मियाें की बारिश 5 से 15 प्रतिशत घटेगी, पर तापमान 3 से 4 डिग्री तक बढ़ने की आशंका। तापमान में बढ़ोतरी का असर यह होगा कि ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे, जिससे पांच दशक बाद ही उत्तरी भारत में जल उपलब्धता पर बुरा असर पड़ने की आशंका। मानसून की बारिश और उसके संभावित वक्त में बदलाव संभव। jodhpur

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